मोदी जी किस तरह हैसियत से 80 करोड़ जनता को फ्री फंड दोनों टाइम भोजन कराने का श्रेय ले रहे हैं?
धनंजय कुमार
लोकतंत्र में लोक
यानी नागरिक सबसे महत्वपूर्ण है, वही देश का वास्तविक मालिक है, इसलिए नागरिकों के
अधिकार, नागरिकों का सम्मान और नागरिकों की चाहत सबसे ऊपर होने चाहिए। जबकि विडंबना है हमारे देश
में नागरिकों की हैसियत गली के कुत्ते जैसी है। देश के संसाधनों-सुविधाओं पर उसका
अधिकार नेताओं-नौकरशाहों, पंडितों-मौलवियों और गुंडों की लूट के बाद आता है। अस्पताल हो या स्कूल-कॉलेज या रोजगार के अवसर, उसका नंबर सबसे आखिर
में आता है। जेब खाली हो तो वो भी नहीं आता।
देश की आजादी के 75 वें साल में हम प्रवेश कर चुके हैं, लेकिन लोक की हैसियत में बहुत खास बदलाव नहीं आया है। घर घर तिरंगा मोदी सरकार का नया जुमला है। जबसे मोदी सरकार आई है थोड़ी बहुत बची-खुची नागरिक स्वतंत्रता भी सरकार की लूट पॉलिसी की भेंट चढ़ गई है। सरकार के सांसद संसद में कहते हैं मोदी जी 80 करोड़ जनता को फ्री फंड दोनों टाइम का खाना खिला रहे हैं, और इसके लिए यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी का आभार मानना चाहिए, उन्हें धन्यवाद कहना चाहिए।
आजादी के समय देश में इतना अनाज नहीं उपजता था कि देश की पूरी आबादी दोनों समय भोजन कर पाए, इस बात की तसदीक इस उदाहरण से की जा सकती है कि भारत के दूसरे पीएम लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश की जनता से अपील की थी एक टाइम भोजन करें। उन्होंने किसानों को देशद्रोही नहीं कहा था, बल्कि नारा दिया था जय किसान का। फिर कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन और प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के सम्मिलित प्रयास से देश में हरित क्रांति का सूत्रपात हुआ। खेती में क्रांतिकारी बदलाव आए और हम जरूरत से कई गुणा अधिक अनाज उगाने लगे। किसान समृद्ध हुए।
किसानों को थोड़ी और
मजबूती मिली थी 2012-13 में लागू भूमि अधिग्रहण कानून से। लेकिन मोदी सरकार ने आते ही उस कानून को
बदलने का हर संभव प्रयास किये, अध्यादेश लाया, ताकि किसानों की जमीन
छीनकर चहेते उद्योगपतियों को दी जा सके। लेकिन विपक्ष के विरोध के चलते ये संभव न हो सका, फिर मोदी सरकार आंशिक
अनुकलता लाने में सफल रही।
धनंजय कुमार
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