Mera Desh

शुक्रवार, 5 अगस्त 2022

 

मोदी जी किस तरह हैसियत से 80 करोड़ जनता को फ्री फंड दोनों टाइम भोजन कराने का श्रेय ले रहे हैं? 

धनंजय कुमार


लोकतंत्र में लोक यानी नागरिक सबसे महत्वपूर्ण है, वही देश का वास्तविक मालिक है, इसलिए नागरिकों के अधिकार, नागरिकों का सम्मान और नागरिकों की चाहत सबसे ऊपर होने चाहिए। जबकि विडंबना है हमारे देश में नागरिकों की हैसियत गली के कुत्ते जैसी है। देश के संसाधनों-सुविधाओं पर उसका अधिकार नेताओं-नौकरशाहों, पंडितों-मौलवियों और गुंडों की लूट के बाद आता है। अस्पताल हो या स्कूल-कॉलेज या रोजगार के अवसर, उसका नंबर सबसे आखिर में आता है। जेब खाली हो तो वो भी नहीं आता।

देश की आजादी के 75 वें साल में हम प्रवेश कर चुके हैं, लेकिन लोक की हैसियत में बहुत खास बदलाव नहीं आया हैघर घर तिरंगा मोदी सरकार का नया जुमला है। जबसे मोदी सरकार आई है थोड़ी बहुत बची-खुची नागरिक स्वतंत्रता भी सरकार की लूट पॉलिसी की भेंट चढ़ गई है। सरकार के सांसद संसद में कहते हैं मोदी जी 80 करोड़ जनता को फ्री फंड दोनों टाइम का खाना खिला रहे हैं, और इसके लिए यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी का आभार मानना चाहिए, उन्हें धन्यवाद कहना चाहिए।

 मैं जानना चाहता हूँ, जब इस देश की वास्तविक मालिक जनता है, तो 80 करोड़ लोगों को फ्री फंड खाना मोदी जी खिला रहे हैं, ये कहना क्या जनता के स्वाभिमान पर भयावह हमला नहीं है?

 मोदी जी को देश की जनता ने पीएम बनाया है। जो अनाज 80 करोड़ जनता को फ्री फंड दिया जा रहा है, क्या मोदी जी ने उस अनाज को खेतों में उगाया है? उस अनाज को उगाने में मोदी जी का एक तिनका भर भी योगदान है? यह अनाज देश के किसानों ने उगाया है, प्रकृति से लड़ते हुए। विडंबनापूर्ण तो यह है कि मोदी सरकार ने उन्हीं किसानों को 13 महीने तक राजधानी के बाहर सड़कों पर बिठाए रखा। उनपर पुलिस से लाठियाँ चलवाई। उन किसानों को देशद्रोही तक कहलवाया। और इन तेरह महीनों में 750 किसानों की मौत हुई। पीएम के मुंह से संवेदना का एक बोल नहीं फूटा। उल्टा किसानों को आज भी तरह तरह से प्रताड़ित करने के मोदी सरकार अवसर ढूंढ रही है। किसानों पर गाड़ी चलाने वाले अपराधी का बाप मोदी सरकार में गृह राज्यमंत्री बना है। इतना सब दुष्कर्म के बाद भी मोदी जी का एक सांसद मोदी जी को धन्यवाद दिलवाना चाहता है जनता से, तो ये शर्म की बात है। लेकिन विडंबना है मोदी जी, उनके सांसदों को और उनके भक्तों को शर्मप्रूफ हैं। बुरी से बुरी परिस्थिति में भी शर्म नहीं आती।

आजादी के समय देश में इतना अनाज नहीं उपजता था कि देश की पूरी आबादी दोनों समय भोजन कर पाए, इस बात की तसदीक इस उदाहरण से की जा सकती है कि भारत के दूसरे पीएम लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश की जनता से अपील की थी एक टाइम भोजन करें। उन्होंने किसानों को देशद्रोही नहीं कहा था, बल्कि नारा दिया था जय किसान का। फिर कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन और प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के सम्मिलित प्रयास से देश में हरित क्रांति का सूत्रपात हुआ। खेती में क्रांतिकारी बदलाव आए और हम जरूरत से कई गुणा अधिक अनाज उगाने लगे। किसान समृद्ध हुए।

 आजादी के समय देश में जमींदारी प्रथा थी। देश के किसान उनके गुलाम थे, और पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की सूझबूझ से जमींदारी प्रथा का अंत हुआ, किसान आजाद हुए। क्या मोदी और उनके भक्त सांसद बताएंगे, उनके अब्बू जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के समर्थन में थे या विरोध में? फिर इंदिरा गांधी ने प्रिवी पर्स का अंत किया और जमींदारों से पूरी तरह से देश को मुक्ति मिली। क्या संघ के लोग प्रिवीपर्स के खात्मे के पक्ष में थे?

किसानों को थोड़ी और मजबूती मिली थी 2012-13 में लागू भूमि अधिग्रहण कानून से। लेकिन मोदी सरकार ने आते ही उस कानून को बदलने का हर संभव प्रयास किये, अध्यादेश लाया, ताकि किसानों की जमीन छीनकर चहेते उद्योगपतियों को दी जा सके। लेकिन विपक्ष के विरोध के चलते ये संभव न हो सका, फिर मोदी सरकार आंशिक अनुकलता लाने में सफल रही।

 लिहाजा मैं सभी भक्तों से भी जानना चाहता हूँ मोदी जी किस तरह हैसियत से 80 करोड़ जनता को फ्री फंड दोनों टाइम भोजन कराने श्रेय ले रहे हैं?

 दुख की बात है इस पर कांग्रेस भी मौन है? किसान संगठनऔर बुद्धिजीवी भी मौन हैं।

धनंजय कुमार

#Dhananjaykumar